गुरुपूर्णिमा

गुरुपूर्णिमा

ज्ञानचक्षु के धारा है गुरु,
स्वतः के प्रकाश से प्रकाशित तारा है गुरु।

जीवन के आधार है गुरु,
कठोरता से परिपूर्ण प्यार है गुरु।

जग के रचैता है गुरु,
इनके ही मार्गदर्शन से होता अच्छा मनुष्य बनने का कार्य शुरू।

स्वयं में ब्रह्मा,विष्णु,महेश है गुरु ,
मनुष्य के रचैता व विध्वंसकर्ता है गुरु।

अंधकार रूपी इस भवर के तारणकर्ता है गुरु,
अपने प्रकाश से उजाले की ओर ले जाने वाले कर्ता है गुरु।

गुरु से ही अर्थ है,
बिन गुरु ये जीवन व्यर्थ है।

:-अमित मिश्रा

गुरुपूर्णिमा की सभी को हार्दिक बधाई व गुरुजनों को नमन💐💐🚩🙏

कुछ मीठा हो जाये…।

आज दिल केह रहा है कि कुछ मीठा हो जाये।
दिल की लड़ाई जब दिमाग से हो जाये और निष्कर्ष ये निकले की सब कुछ भूल के क्यों न आज दिल की सुन ली जाए,
तब मन करता है कि चलो आज कुछ मीठा हो जाये।

तन,मन और धन इन तीनों में जब धन जीतता दिख जाए और गुरुर रूपी धन को ही इस जमाने अहमियत मिल जाये,
तब एक बार अपने मन को समझा कर कहो ख़ैर तू छोड़ ये सब चल कुछ मीठा हो जाये।

परिवार और प्यार के बीच जब चुनना हो और कुछ समझ ना आये ,
तो ये याद रख की प्यार या परिवार दोनों में से ऐसा कोई नहीं जिसे त्याग व समर्पण के बिना हांसिल कर लिया जाए और फिर एक बार ख़ुद को कहना कि आज कुछ मीठा हो जाये।

सपनों और अपनों में तो संघर्ष जग जाहिर हैं,
लेकिन हर जिम्मेदार इंसान इसको निभाने में माहिर है।
मिटा लेते हैं कुछ लोग खुद को इस संघर्ष में,
और मिल जाता हैं उनका नाम फर्श में
गर जितना है जिंदगी की लड़ाई तो हमेशा याद रख,
की ये जिंदगी नहीं ये है अग्निपथ अग्निपथ।
इसलिए क्यों ना हर मुश्किल घड़ी में खुद को संभाल लिया जाए,और हमारे पीछे जो लोग हैं उनका सोच लिया जाए,
बस चल ना फिर आज फिर कुछ मीठा हो जाये।

:- अमित मिश्रा

उल्फत ए आरजू

उल्फत ए आरजू तुम्हें भी होगी,
वक़्त सबको एहतराम बख्शता है।

यूँ तो मुसीबतें कभी सुपुर्दे ख़ाक नहीं होती,
मगर इंसान का अन्जाम अब्तर ही रहा है।

जाना तुझे भी अकेले है खुदा के अन्जुमन में और मुझे भी ,
लेकिन इस जहाँ में बस इतना अत्फ़ फर्मा दे कि उस जहाँ में तेरे पास अफ़साने अदम ना हो।

उल्फत ए आरजू तुम्हें भी होगी,
वक़्त सबको एहतराम बख्शता है।

:- अमित मिश्रा

मैथिली पुत्र प्रदीप जी के निधन

”जगदंब अहिं अविलंब हमर हे माय अहां बिन आस ककर…” के रचैता प्रदीप जी के निधन स आई पूरा मिथिलांचल सुन्न और शोकाकुल भ गेल।

मैथिली,संस्कृत आ हिंदी सहित्य के परम् विद्वान प्रदीप जी के असल नाम प्रभुनारायण झा छियैन।


हिनकर किछु मुख्य आ प्रचलित रचना अइछ सीता अवतरण संपूर्ण महाकाव्य, एक घाट तीन बाट, नाम पट्ट उपन्यास, भागवत गीता मैथिली अनुवाद, दुर्गा सप्तशती, स्वंप्रभा सूत्र, श्री राम हृदय काव्य, कहुंकल कोयलिया, उगल नव चांद आदि।
आ गीत-नाद में जगदंब अहिं अविलंब हमर हे माय अहां बिन आस ककर,जै जै भैरवी,तुं नै बिसहरिहें गे माय।

एहेन महान व्यक्तित्व के पूर्ण बखान लिखनाइयो हमरा बसक बात नई।
शत शत नमन

:-अमित मिश्रा

Mumbai bandra protest

ये भयावह तस्वीर मुम्बई के बांद्रा स्टेशन के पास की है।
जहाँ आज शाम हजारों लोग जुट गए।
जिनको अंततः लाठीचार्ज करके हटाया गया।
ये भीड़ इस महामारी corona और lockdown के समय नैतिक तो बिल्कुल नही लेकिन क्या कोई राजनेता,नेता,या विभिन्न पार्टियों के कार्यकर्ता इस मसले पर इन जैसे लोगों की समस्या जान कर अपने नैतिक होने का फर्ज पूरा करेंगे?
क्योंकि ये तस्वीर सवाल तो बहुत छोड़ गई है केंद्र व राज्य दोनों सरकारों के लिए।


:- अमित मिश्रा

जय बिहार (बिहार दिवस)

जय बिहार

बिहार है स्थल वीर जवानों और अपने इतिहास के गौरवगानो का।
अशोक जैसे वीर यहाँ के जिन्होंने पूरे विश्व मे झंडा गारा बिहार का।
आर्यभट्ट भी यही के जिन्होंने नई परिभाषा सिखाइ दुनिया को गणित का।

गौतम बुद्ध ने भी इसी पावन धरती से दिया सबको नारा भाईचारे का।
चाणक्य ने भी इसी भूमि पे अपनी नीतियों में असल भेद बताया दुनिया का।
माँ सीता भी यही पे जन्मी जिन्होंने पाठ दिया सतीत्व का।
यही ज्ञान भूमि नालंदा जैसी जिसने ज्ञान व मान बढ़ाया बिहार का।

मिथिला,भोजपुर जैसे क्षेत्र यहाँ पे जहाँ की बोली,संस्कृति में एक मिठास है,और बस इतिहास ही नही हमारे नवयुवको से भी बिहार को कुछ आश है।

:- अमित मिश्रा

गाम मौन परई यै

“गाम मौन परई यै”

बाबा-दाई के बखान मौन परई यै,
घर-क अंगना-दलान मौन परई यै।
हमर गाम हमरा खूब मौन परई यै।

अपन कलम-क आम मौन परई यै,
बारी के लताम मौन परई यै।
हमर गाम हमरा खूब मौन परई यै।

होली के ओ हुरदंग मौन परई यै,
ओइ हुरदंग के दबंग मौन परई यै
भांग पिब क सभक ओ ठिठोली मौन परई यै।
हमर गाम हमरा खूब मौन परई यै।

दुर्गा पूजा के मेला मौन परई यै,
ओहि ठम लागल ठेला मौन परई यै।
माँ-दाई के पूजा मौन परई यै,
आ पूजा देखअ आयल बगल-क टोल के पूजा मौन परई यै।
हमर गाम हमरा खूब मौन परई यै।

दीपावली के दिप मौन परई यै,
ओहि दीवाली में संगी-मीत मौन परई यै।
फुलझड़ी के इयोत आ फटक्का के अवाज मौन परई यै,
आ ओहि बचपन मे कैल गेल बेतुकक काज मौन परई यै।
हमर गाम हमरा खूब मौन परई यै।

छठी मैया के अर्घ मौन परई यै,
घाट पर कैल गेल बत-कही मौन परई यै।
हमर गाम हमरा खूब मौन परई यै।

तिला-संकरैतक तिल आ लाई मौन परई यै,
जतेक डुबकी लगायब ओतेक तिलबा भेटत ई बात मौन परई यै।
हमर गाम हमरा खूब मौन परई यै।

भोज-क ओ सकरौरी मौन परई यै,
दाई के हाथक तिलौरी मौन परई यै।
हमर गाम हमरा खूब मौन परई यै।

बजरंगबली के रोट मौन परई यै,
गाछ पर स गिरबा के चोट मौन परई यै।
मधुश्रावणी के फूल मौन परई यै,
बियाहल संगे कुमारी सब के टोली मौन परई यै।
हमर गाम हमर मिथिला हमरा खूब मौन परई यै।

:- अमित मिश्रा

होली (एक लड़की की आपबीती)

होली यह नाम सुनते ही सबके मन में रंग,खुशहाली और हर्षोल्लास का भाव आ जाता है,लेकिन मेरे लिए होली बेरंग,जोर – जबरदस्ती,और मन को ठेस पहुंचाने का बहाना नजर आता है।

जिसके पीछे का कारण है हमारा समाज,वहीं समाज जिसने बस इस त्योहार को रंग और खुशी से अलग ले जाके बस नशा और जबरदस्ती का त्योहार बना दिया है।

मैं भी अपने साथ हुई एक घटना को आप सबके सामने रखना चाहूंगी,पहले तो मैं घबरा रही थी लेकिन जैसे ही मैंने ये बात कुछ दिन पहले अमित मिश्रा को बताई की उन्होंने कहा कि आपको अपना बात सबके सम्मुख रखना चाहिए जिससे सभी लड़कियों उनके मां बाप और समाज को समझ आए और आपका भी मन हल्का हो कुछ तो इस बोझ से।फिर भी मैं हिचकिचाई लेकिन फिर मैंने हिम्मत की और हमने निर्णय लिया कि हम बिना नाम उजागर किए अपनी बात रखेंगे।

आज से बहुत साल पहले जब मैं छठी – सातवीं कक्षा में थी तो हर साल की तरह उस साल भी “होली” आई लेकिन मुझे क्या पता था की इस होली के बाद मेरा इस त्योहार को लेके धारणा ही बदल जाएगी।मेरे एक जीजू जो कि बाहर से बस “होली” खेलने आए थे ,उन्होंने मुझे भी बुलाया लेकिन मुझे बचपन से ही पसंद नहीं इसलिए मैंने बोला की मुझे रंग अच्छा नहीं लगता तो उन्होंने जिद्द किया जिसे देख मेरी मम्मी भी बोली की जीजू है मजाक का रिश्ता है जा खेल ले थोड़ा।मैं जैसे ही उनके पास गई की उन्होंने पहले चेहरे पे बहुत अच्छे से रंग लगाया लेकिन बस अगले 5 सेकंड मेरी जिंदगी के सबसे बुरे 5 सेकंड होने वाले थे ,उन्होंने क्या किया होगा ये आप सब समझ सकते है क्योंकि मैं वो नहीं लिख पाऊंगी और उसके बाद वो खूब हसे और मानो उनके आंखों में खुशी की लहर थी कि उन्होंने मर्द होने का सबूत दिया हो।मैं जब तक कुछ समझ पाती उन्होंने वो घिनौनी हरकत कर दी थी फिर मैं उन्हें धक्का देकर अपने कमरे में जाके खूब रोने लगी क्योंकि उन्होंने क्या सोचा ये मुझे नहीं पता था लेकिन मुझे अच्छा नहीं लग रहा था और लग रहा था कि मेरे साथ कुछ तो गलत हुआ है।

मां ने जब रोते देखा तो वो परेशान होके आई पूछने और जब मैंने उन्हें बताई की जीजू ने मुझे गलत तरीके और गलत जगह रंग लगाया तो वो भी रोने लगी और बोली कि क्या करेगी हमारे समाज में लड़कियों और औरतों को ये सब सेहना पड़ता है।उन्होंने मुझे ये तो केह दिया लेकिन कोई मां खुद सब बर्दास्त के सकती है लेकिन अपने बच्चो के ऊपर कुछ बर्दास्त नहीं कर सकती,उन्होंने पापा को बताया और फिर दोनों ने मिलकर जीजू को बस समझाया और विदा कर दिया।

शायद सब धीरे धीरे ये बात भूल गए होंगे लेकिन जब मैं बड़ी हुई तो समझा कि जीजू ने वो हरकत क्या सोच के की होगी और ये सोच सोच के ही मैं कई बार रोती हूं कि काश वो 5 सेकंड मेरी जिंदगी में ना आए होते और बाकी का निर्णय मैं आप सब से ही जानना चाहूंगी कि आपको क्या बोलना या करना चाहिए ऐसे बातों पे और यही कहते हुए मैं अपनी बात ख़त्म करती हूं।

आपलोगों ने ऊपर एक लड़की की आप बीती पढ़ी। मैं उस लड़की का नाम नहीं लिखूंगा क्योंकि इससे उनके जिंदगी में असर पड़ सकता है।लेकिन सबसे पहले हमेशा को तरह मैं होली पे कुछ बोलना चाहूंगा फिर इस आप बीती पर भी अपना बात रखूंगा

हिरण्यकश्यप की योजना प्रहलाद को जलाने की थी,क्योंकि वो हरी भगवान विष्णु का भक्त था और हिरण्यकश्यप भगवान हरी को अपना शत्रु मानता था। लेकिन उनकी योजना सफल नहीं हो सकी क्योंकि प्रहलाद सारा समय भगवान विष्णु का नाम लेता रहा और बच गया पर होलिका जलकर राख हो गई। होलिका की ये हार बुराई के नष्ट होने का प्रतीक है। इसके बाद भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध कर दिया, इसलिए होली का त्योहार, होलिका की मौत की कहानी से जुड़ा हुआ है। इसके चलते भारत के कुछ राज्यों में होली से एक दिन पहले बुराई के अंत के प्रतीक के तौर पर होली जलाई जाती है। और होली में रंग भगवान कृष्ण के समय जुड़ा ऐसा माना जाता है माना जाता है कि भगवान कृष्ण रंगों से होली मनाते थे, इसलिए होली का त्योहार रंगों के रूप में लोकप्रिय हुआ।

अब आते है आज के समय की होली पे,तो इसमें मुझे भी बस नशा,जबरदस्ती,अपने मन की संतुष्टी करना,और सीधे शब्दों में कहूं तो नियोजित तरीके से “होली” का बहाना लेके छेरछार करना।मेरा सवाल बस इस समाज से ये है कि क्या वो लोग जो मजाक का रिश्ता या “होली” का नाम लेके जो दूसरे औरतों के साथ करते है क्या वो खुद के घर भी वही सब बर्दाश्त करेंगे??क्या उस लड़की के मां बाप को उस समय कड़ा रुख नहीं अपनाना चाहिए था क्योंकि वो घर का जमाई था तो कुछ भी करे??उस लड़की पे क्या बीत रही होगी जिसे उस समय कुछ ज्यादा समझ भी नहीं थी??और जब उसे समझ हुआ तो क्या वो 5 सेकंड उसके जीवन भर उसे नहीं परेशान करेगा??

सवाल तो बहुत है लेकिन ना ही मैं उसे जवाब दे पाया ना ही आप लोग उस लड़की या ऐसी कई लड़कियों या औरतों को जवाब दे पाएंगे।और जिन लोगों को ऐसा लग रहा हो की मेरा ब्लॉग उनके रंग में भंग डाल रहा है वो अपनी सोच बदले क्योंकि पूरी दुनिया को तो मैं ठीक नहीं कर सकता लेकिन मैं खुद में विश्वास रखने वालों में से हूं इसलिए जहां तक मेरी क्षमता होगी मैं आपके ऐसे रंग में भंग डालने में जरा सा भी संकोच नहीं करूंगा।

:-

:- अमित मिश्रा

माना कि तुम एक आग हो,पर मैं भी तो राख हूं।

माना कि तुम एक आग हो,पर मैं भी तो राख हूं।

तुम धधक रहे हो आग सा , मैं भी सुलगता चला जाऊंगा

तुम छू रहे सारी ऊंचाइयां पर मैं सबको जमीन की अहमियत बताऊंगा

माना कि तुम एक आग हो,पर मैं भी तो राख हूं।

तुमने अपने कर्म को लोगों के खुश होने तक समेट रखा है,मैंने अपने कर्म में उनकी खुशियों को सम्मिलित कर रखा है

तुम्हारे चकाचौंध से माना ये दुनिया तुम्हे सर पे बिठाएगी पर मैं भी वो दीपक हूं जिसकी अहमियत अंधेरा ही सबको बताएगी

मान लिया तुम जहां हो आज वो एक शिखर है,मगर ये अमित भी अडिग, प्रज्वल ,प्रबल है

माना कि तुम एक आग हो,पर मैं भी तो राख हूं।

:- अमित मिश्रा