होली यह नाम सुनते ही सबके मन में रंग,खुशहाली और हर्षोल्लास का भाव आ जाता है,लेकिन मेरे लिए होली बेरंग,जोर – जबरदस्ती,और मन को ठेस पहुंचाने का बहाना नजर आता है।
जिसके पीछे का कारण है हमारा समाज,वहीं समाज जिसने बस इस त्योहार को रंग और खुशी से अलग ले जाके बस नशा और जबरदस्ती का त्योहार बना दिया है।
मैं भी अपने साथ हुई एक घटना को आप सबके सामने रखना चाहूंगी,पहले तो मैं घबरा रही थी लेकिन जैसे ही मैंने ये बात कुछ दिन पहले अमित मिश्रा को बताई की उन्होंने कहा कि आपको अपना बात सबके सम्मुख रखना चाहिए जिससे सभी लड़कियों उनके मां बाप और समाज को समझ आए और आपका भी मन हल्का हो कुछ तो इस बोझ से।फिर भी मैं हिचकिचाई लेकिन फिर मैंने हिम्मत की और हमने निर्णय लिया कि हम बिना नाम उजागर किए अपनी बात रखेंगे।
आज से बहुत साल पहले जब मैं छठी – सातवीं कक्षा में थी तो हर साल की तरह उस साल भी “होली” आई लेकिन मुझे क्या पता था की इस होली के बाद मेरा इस त्योहार को लेके धारणा ही बदल जाएगी।मेरे एक जीजू जो कि बाहर से बस “होली” खेलने आए थे ,उन्होंने मुझे भी बुलाया लेकिन मुझे बचपन से ही पसंद नहीं इसलिए मैंने बोला की मुझे रंग अच्छा नहीं लगता तो उन्होंने जिद्द किया जिसे देख मेरी मम्मी भी बोली की जीजू है मजाक का रिश्ता है जा खेल ले थोड़ा।मैं जैसे ही उनके पास गई की उन्होंने पहले चेहरे पे बहुत अच्छे से रंग लगाया लेकिन बस अगले 5 सेकंड मेरी जिंदगी के सबसे बुरे 5 सेकंड होने वाले थे ,उन्होंने क्या किया होगा ये आप सब समझ सकते है क्योंकि मैं वो नहीं लिख पाऊंगी और उसके बाद वो खूब हसे और मानो उनके आंखों में खुशी की लहर थी कि उन्होंने मर्द होने का सबूत दिया हो।मैं जब तक कुछ समझ पाती उन्होंने वो घिनौनी हरकत कर दी थी फिर मैं उन्हें धक्का देकर अपने कमरे में जाके खूब रोने लगी क्योंकि उन्होंने क्या सोचा ये मुझे नहीं पता था लेकिन मुझे अच्छा नहीं लग रहा था और लग रहा था कि मेरे साथ कुछ तो गलत हुआ है।
मां ने जब रोते देखा तो वो परेशान होके आई पूछने और जब मैंने उन्हें बताई की जीजू ने मुझे गलत तरीके और गलत जगह रंग लगाया तो वो भी रोने लगी और बोली कि क्या करेगी हमारे समाज में लड़कियों और औरतों को ये सब सेहना पड़ता है।उन्होंने मुझे ये तो केह दिया लेकिन कोई मां खुद सब बर्दास्त के सकती है लेकिन अपने बच्चो के ऊपर कुछ बर्दास्त नहीं कर सकती,उन्होंने पापा को बताया और फिर दोनों ने मिलकर जीजू को बस समझाया और विदा कर दिया।
शायद सब धीरे धीरे ये बात भूल गए होंगे लेकिन जब मैं बड़ी हुई तो समझा कि जीजू ने वो हरकत क्या सोच के की होगी और ये सोच सोच के ही मैं कई बार रोती हूं कि काश वो 5 सेकंड मेरी जिंदगी में ना आए होते और बाकी का निर्णय मैं आप सब से ही जानना चाहूंगी कि आपको क्या बोलना या करना चाहिए ऐसे बातों पे और यही कहते हुए मैं अपनी बात ख़त्म करती हूं।
आपलोगों ने ऊपर एक लड़की की आप बीती पढ़ी। मैं उस लड़की का नाम नहीं लिखूंगा क्योंकि इससे उनके जिंदगी में असर पड़ सकता है।लेकिन सबसे पहले हमेशा को तरह मैं होली पे कुछ बोलना चाहूंगा फिर इस आप बीती पर भी अपना बात रखूंगा
हिरण्यकश्यप की योजना प्रहलाद को जलाने की थी,क्योंकि वो हरी भगवान विष्णु का भक्त था और हिरण्यकश्यप भगवान हरी को अपना शत्रु मानता था। लेकिन उनकी योजना सफल नहीं हो सकी क्योंकि प्रहलाद सारा समय भगवान विष्णु का नाम लेता रहा और बच गया पर होलिका जलकर राख हो गई। होलिका की ये हार बुराई के नष्ट होने का प्रतीक है। इसके बाद भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध कर दिया, इसलिए होली का त्योहार, होलिका की मौत की कहानी से जुड़ा हुआ है। इसके चलते भारत के कुछ राज्यों में होली से एक दिन पहले बुराई के अंत के प्रतीक के तौर पर होली जलाई जाती है। और होली में रंग भगवान कृष्ण के समय जुड़ा ऐसा माना जाता है माना जाता है कि भगवान कृष्ण रंगों से होली मनाते थे, इसलिए होली का त्योहार रंगों के रूप में लोकप्रिय हुआ।
अब आते है आज के समय की होली पे,तो इसमें मुझे भी बस नशा,जबरदस्ती,अपने मन की संतुष्टी करना,और सीधे शब्दों में कहूं तो नियोजित तरीके से “होली” का बहाना लेके छेरछार करना।मेरा सवाल बस इस समाज से ये है कि क्या वो लोग जो मजाक का रिश्ता या “होली” का नाम लेके जो दूसरे औरतों के साथ करते है क्या वो खुद के घर भी वही सब बर्दाश्त करेंगे??क्या उस लड़की के मां बाप को उस समय कड़ा रुख नहीं अपनाना चाहिए था क्योंकि वो घर का जमाई था तो कुछ भी करे??उस लड़की पे क्या बीत रही होगी जिसे उस समय कुछ ज्यादा समझ भी नहीं थी??और जब उसे समझ हुआ तो क्या वो 5 सेकंड उसके जीवन भर उसे नहीं परेशान करेगा??
सवाल तो बहुत है लेकिन ना ही मैं उसे जवाब दे पाया ना ही आप लोग उस लड़की या ऐसी कई लड़कियों या औरतों को जवाब दे पाएंगे।और जिन लोगों को ऐसा लग रहा हो की मेरा ब्लॉग उनके रंग में भंग डाल रहा है वो अपनी सोच बदले क्योंकि पूरी दुनिया को तो मैं ठीक नहीं कर सकता लेकिन मैं खुद में विश्वास रखने वालों में से हूं इसलिए जहां तक मेरी क्षमता होगी मैं आपके ऐसे रंग में भंग डालने में जरा सा भी संकोच नहीं करूंगा।
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:- अमित मिश्रा